थ्रैचर निकोलस की वसीहत
“ओह, तो ये बात है। वैसे क्या बात है? ज़रा दोबारा कहिये, मैं सुन नहीं रहा था।” – कान खुजाते हुए कीथ ने कहा।
“देखिये, मेरे पिता, थ्रैचर निकोलस ने मरते समय एक फालतू की वसीहत बनाई थी। वो एक लेखक थे। आमतौर पर जासूसी या रहस्यमय उपन्यास लिखते थे। जब वो मरे तो उन दिनों वो एक उपन्यास पर काम कर रहे थे। शायद उन्हें ये आभास हो गया था कि वो मरने वाले हैं। उनकी बीमारी काफी बढ़ गई थी। इसी कारणवश उन्होंने अपनी वसीहत बनवाई। मैं उनका इकलौता बेटा हूँ। उन्होंने सारी जायदाद मेरे नाम कर दी। पर साथ ही एक बेकार की शर्त भी रखी। उन्हें पता था कि जिस उपन्यास पे वो काम कर रहे हैं वो उनके जीते जी पूरा नहीं हो पायेगा। सो उन्होंने उसे अधूरा छोड़ दिया और ये शर्त रखी कि मुझे उनकी सारी जायदाद तभी मिलेगी जब मैं उस उपन्यास में लिखे गए हत्या के रहस्य को सुलझा सकूँगा, अन्यथा नहीं। ऐसा करने के लिए उन्होंने मुझे एक महीने का समय दिया था जिसमें से एक हफ्ता बीत चुका है। मुझसे तो ये मर्डर मिस्ट्री सुलझ नहीं रही। समझ में नहीं आता कि क्या करूँ।”
“मिस्टर निकोलस, क्या उस वसीहत में इस बारे में कुछ और भी लिखा है?”
“जी हाँ, वो वसीहत कहती है कि अगर मेरे अलावा किसी और ने वो मिस्ट्री, वो रहस्य सुलझा दिया तो सीधा-सीधा सारी जायदाद उसी की हो जायेगी। फिर मेरा उसमें कोई हिस्सा नहीं होगा।”
“तो आप मुझसे क्या चाहते हैं?”
“एक सौदा। आप एक जासूस हैं। आप अगर इस मामले को मेरे लिए सुलझा दें तो मैं जायदाद आपके साथ बाँटने को तैयार हूँ।”
“पर बजाए आप से हाथ मिलाने के मैं उस मामले को खुद सुलझा कर सारी संपत्ति का एकमात्र अधिकारी खुद ही न बन जाऊं !”
“आप ऐसा नहीं कर सकते। क्योंकि वो केस सुलझाने के लिए आपको थैचर निकोलस के पुराने बँगले में जाकर रहना होगा, जहाँ वो अपनी किताबों पर काम किया करते थे। वो घर अभी भी मेरे कब्ज़े में है और वहाँ मेरी इजाज़त के बिना आप दाखिल नहीं हो सकते। तो कहिये, है मंज़ूर? अगर हाँ तो कल सुबह मैं आपको उस अधूरे उपन्यास के साथ पुराने बँगले भेजने का इंतज़ाम कर देता हूँ।”
“ठीक है। मैं ये काम करूँगा।”
“याद रहे कि इस काम में हम दोनों कि एक दूसरे पर भरोसा कर रहे हैं। क्योंकि इस सौदे के लिए कोई कॉन्ट्रैक्ट नहीं बनाया जा सकता। ये एक गैर कानूनी डील है।”
“भरोसा कीजिए, मैं काम कर दूंगा।”
“ठीक है, अब मैं चलता हूँ। कल सुबह आप इस पते पर पहुँच जाइएगा।” – कहते हुए सिल्वियस निकोलस ने अपना विसिटिंग कार्ड निकाला और कीथ को दे दिया।
अगली सुबह कीथ सिल्वियस निकोलस के बँगले पर था। सिल्वियस ने कीथ के जाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। एक कार में सारा सामान रखवा दिया गया और ड्राईवर को ये हिदायत दे दी गयी कि वो कीथ को थ्रैचर निकोलस के पुश्तैनी बँगले में पहुँचा दे। सिल्वियस उस बँगले में नहीं रहता था क्योंकि वो शहर की सीमाओं से दूर था और पुराने किस्म का बना हुआ था, जैसा कि सिल्वियस को पसंद नहीं था। निकोलस खानदान में थ्रैचर ही वो आखिरी शख्स था जो उस मकान में रहा था। और शहर में सारा कारोबार होने के कारण सिल्वियस को वहीँ रहना पड़ता था। हालाँकि वो उसका मालिक अभी नहीं बना था पर उसे चलाने की इजाज़त कानूनी तौर पर उसके पास थी।
और गाड़ी शहर की सीमाएँ पार कर के सुनसान पहाड़ी रास्ते पर बढ़ रही थी। पांच घंटों का लंबा सफर तय करने के बाद कीथ आखिरकार अपनी मंजिल पर था। वो खडा था एक शानदार शाही महल से दिखने वाले बँगले के सामने। उसके बड़े से दरवाज़े पर ताला लगा हुआ था। कीथ के पास उस ताले की चाबी मौजूद थी। उसने ताला खोला और अंदर दाखिल हुआ। बँगले को देखकर ज़ाहिर होता था कि सालों से वहाँ कोई रहा नहीं था। दीवारों पर लगे मकड़ी के जाले, चारों तरफ बिखरी हुई धूल और इधर उधर बिखरा हुआ सामान उस जगह के डरावने माहौल में चार चाँद लगा रहा था।
“थ्रैचर निकोलस को मरे तो कुछ अरसा ही बीता है। पर ये जगह तो ऐसी लगती है कि जैसे सालों से कोई यहाँ आया भी न हो, रहना तो दूर की बात लगती है।” – कीथ ने इधर उधर देखते हुए सोचा।
“साहब, असल में बड़े मालिक को तो लिखने से ही फुर्सत नहीं मिलती थी, और फिर वो यहाँ अकेले ही रहा करते थे। इसीलिए ये जगह ऐसी है।” – ड्राईवर ने कहा, जो कार से कीथ का सामान निकाल कर लाया था और शायद कीथ के मन की बात पढ़ चुका था।
“अच्छा, तो फिर पहले कारोबार कौन संभालता था?”
“कहाँ साहब, पहले कारोबार था ही किधर ! ये सारी दौलत तो बड़े मालिक की पुश्तैनी संपत्ति है। बड़े मालिक तो सिर्फ उपन्यास लिखते थे जो ‘गोल्डन ईगल’ नाम की एक प्रकाशन संस्था छापा करती थी। किताबों की बिक्री से जितना भी पैसा मिलता था, बड़े मालिक ‘आल्ज़ होम’ नाम के एक वृद्ध आश्रम को दे दिया करते थे – चैरिटी के रूप में।”
“तो ये कारोबार सिल्वियस निकोलस ने खुद ही शुरू किया है?” – कीथ ने पूछा।
“जी हाँ, उन्होंने बड़े मालिक से ज़िद की कि वो खुद का कारोबार शुरू करना चाहते हैं। मालिक ने अनुमति दे दी – साथ में पैसे भी।”
“अच्छी बात है। ये तो बताओ कि बाप-बेटे के बीच सम्बन्ध कैसे थे?”
“कोई खास बहस तो नहीं होती थी पर उनके ख्यालात कभी नहीं मिले। बड़े मालिक ज़रा पुराने ख्यालात के थे और साहबज़ादे आधुनिक हैं।”
“ठीक है, तुम गाड़ी लेकर वापस चले जाओ।”
“ठीक है साहब। वैसे भी अंदर हर चीज़ की सुविधा है पर फिर भी अगर किसी खास चीज़ की ज़रूरत हो तो फोन कर सकते हैं। शहर से भिजवा दी जायेगी।”
और ड्राईवर चला गया। घर, जो अब तक बिकुल सुनसान था, अब इतना सुनसान नहीं रह गया था। कीथ ने सामान वहीँ छोड़ा और घर का जायज़ा लेने लगा। बँगला काफी बड़ा था। कहीं कमरे थे उसमें, कुछ नीचे और कुछ ऊपर। नीचे बड़ा-सा लिविंग रूम था। दीवारों पर जगह जगह तस्वीरें टंगी हुई थीं। कीथ उन्हें देखने लगा। ज़्यादातर तस्वीरें निकोलस खानदान के पूर्वजों की थीं। कुछ कलात्मक चित्र भी थे। उन्हें देख कर यूँ लगता था मानो बनाने वाला चित्रकार उनके ज़रिये किसी गहरे मतलब की बात कहना चाहता था। कीथ ने बारी-बारी सभी कमरे देखे। हर कमरे की बनावट लगभग एक जैसी थी। कमरे बड़े और हवादार थे। कीथ पूरी तरह कमरों को जाँच लेने के बाद स्टडी रूम में गया। ये वो कमरा था जहाँ थ्रैचर निकोलस अपनी कहानियों पर काम किया करते थे। कोई धूल मिट्टी नहीं थी वहाँ। कमरा भी काफी अजीब-सा था। कमरे में कई अलमारियाँ थीं। कीथ ने उनमें से कुछ को खोल कर देखा। उनमें थ्रैचर निकोलस के द्वारा लिखे गए कुछ कागज़ थे। कीथ ने फिलहाल उन कागजों को वैसे का वैसा रखा रहने दिया। फिर कीथ वापस उस बेडरूम में आ गया जहाँ उसे रहना था। वहाँ रहने का फैसला कीथ का ही था। क्योंकि उसे बताया गया था कि वो थ्रैचर निकोलस का कमरा था। नहा लेने के बाद कीथ बिस्तर पर बैठ गया और वो अधूरा उपन्यास पढ़ने लगा जो उसे पूरा करना था। अब तक काफी रात हो चुकी थी।
“इसमें लिखा है – जब सिंथिया विलियम से मिलने उसके घर आई तो आधी रात हो चुकी थी। विलियम जानता था कि सिंथिया अपने पति सिरेनो के सोने का इंतज़ार कर रही थी। विलियम ने उसे अपनी बाहों में लिया – ‘ओह सिंथिया’, उसने कहा, ‘मैं तुमसे मिलने को बेकरार था।’ सिंथिया थोड़ा डरते हुए बोली, ‘विलियम, ऐसा कब तक चलेगा? एक न एक दिन सिरेनो को हमारे प्यार के बारे में सब पता चल जाएगा।’ ‘तुम डरो मत सिंथिया, तब की तब देखेंगे। फिलहाल तो ये खूबसूरत रात धीरे-धीरे बीत रही है। इसे व्यर्थ न जाने दो।’ और फिर दोनों के होंठ आपस में टकरा गए। सिंथिया विलियम से प्यार करती थी। पर उसके माता-पिता ने उसकी शादी सिरेनो से करवा दी थी। कारण थे उसके प्रेमी का एक फसादी होना। छोटे-मोटे कई झगडों के लिए उसे अक्सर जेल की हवा खानी पड़ती थी। पर सिंथिया के दिल पर उसने अच्छा-ख़ासा डाका डाला था। शादी के बाद भी सिंथिया चोरी छुपे विलियम से मिलने जाती रहती थी। इसकी खबर किसी को नहीं थी सिवाय विलियम के घर में काम करने वाली एक नौकरानी कैथी के। वो ही विलियम और सिंथिया के संदेश एक-दूसरे तक पहुँचाया करती थी। कैथी सिंथिया से मिलने उसकी दोस्त बन कर जाती थी जिससे कि किसी को शक न हो। सिरेनो को भी कैथी के घर आने से कोई एतराज़ नहीं था।” – कीथ ने अभी यहीं तक पढ़ा था कि तभी कुछ गिरने की आवाज़ आई। कीथ को शक हुआ। होना भी चाहिए था। आखिर बँगले में वो अकेला था। इस हिसाब से कोई आवाज़ होना वाकई में शक करने लायक बात थी, और इतने बड़े बँगले में खौफ के लायक भी। कीथ उठा और स्टडी रूम में पहुंचा। रात काफी हो चुकी थी। बाहर से उल्लुओं के बोलने की आवाजें आ रही थीं। आखिर बँगला शहर की सीमा के बाहर एक सुनसान पहाड़ी इलाके में बसा था। जितना सुनसान वो अंदर से था, उतना ही सुनसान बाहर से भी। कीथ भूत-प्रेत में विश्वास नहीं रखता था। पर ये माहौल किसी को भी डराने के लिए काफी था। स्टडी रूम में काफी अँधेरा था। वहाँ की लाईट भी काम नहीं कर रही थी। कीथ थोड़ा घबराया हुआ था। तभी उसे कुछ खटपट सुनाई दी। वो थ्रैचर निकोलस की स्टडी टेबल के नीचे हो रही थी। कीथ ने थोड़ा घबराते हुए मेज़ को हिलाया। नीचे अँधेरे में दो चमकती हुई हरी-हरी आँखें दिखाई दीं।
“म्याऊं !”
मानो कीथ की जान में जान आई। बिल्ली मेज़ के नीचे से निकल कर भाग गई। अब तक कीथ को सब साफ़-साफ़ दिखने लग गया था। अब तक उसकी आँखों की नींद भी उड़ चुकी थी। इसलिए वो स्टडी रूम में टहलने लगा। तभी अचानक चारों ओर रौशनी हो गई – बहुत तेज रौशनी। कीथ एक पल को हडबड़ा गया।
“ये क्या हो गया? यहाँ की लाईट तो खराब है। और फिर मैंने तो रौशनी नहीं की। तो फिर ये .....” – कीथ इस बारे में हैरान परेशान होकर सोच रहा था कि तभी कहीं से एक आवाज़ आई –
“ये मैंने किया है।” – आवाज़ भारी-भरकम थी। कीथ डर गया,
“क ...क...कौन है? कौन है? सामने आओ।”
अगले ही पल सामने हवा में किसी परछाई कि तरह प्रकट हुआ एक बुज़ुर्ग-सा दिखने वाला शख्स। वो सिर पर एक पुराने ढंग की टोपी लगाए था। उसके चेहरे पर शांत भाव थे। कीथ उस शख्स के आर-पार देख पा रहा था और यही एक बात कीथ को सबसे ज्यादा डरा रही थी।
“क ....क....कौन हो तुम?” – कीथ ने थोड़ा डरते हुए पूछा। हालाँकि वो कोई जवाब नहीं चाहता था। वह शख्स एक पल को चुप रहा और फिर गहरी साँस लेकर बोला,
“थ्रैचर निकोलस।”
बादलों से चाँद निकल आया था। नीली चाँदनी धीरे-धीरे धरती पर बरस रही थी। हल्की हवाएं धीरे-धीरे आँधी बन रही थीं। बाहर मौसम खराब होता जा रहा था।
“त ...तुम थ्रैचर निकोलस .....” – कीथ डरने लगा था। वो किसी फैसले पर नहीं पहुँच पा रहा रहा था। वो भूतों या आत्माओं पर विश्वास नहीं रखता था पर इस समय जो उसकी आँखें देख रही थीं उसे नकारना मुश्किल था।
“असल में कहना चाहिए कि मैं थ्रैचर निकोलस का भूत हूँ। जब से थ्रैचर निकोलस मरा है मैं यहीं, इसी बँगले में भटक रहा हूँ। मेरे जिस्म के मर जाने पर भी मेरी आत्मा को मुक्ति नहीं मिली।”
“ तुम थ्रैचर निकोलस के भूत हो। जब से थ्रैचर निकोलस मरा है तुम यहीं, इसी बँगले में भटक रहे हो। तुम्हारे जिस्म के मर जाने पर भी तुम्हारी आत्मा को मुक्ति नहीं मिली। पर क्यों नहीं मिली?” – कीथ ने पुछा। अब तक उसका डर कुछ कम हो गया था।
“वजह तुम भी जानते हो। तुम असल में इसीलिए यहाँ आए हो।” – एक रहस्यमय ढंग से उस परछाई जैसे शख्स ने कहा जो थ्रैचर निकोलस के भूत होने का दावा कर रहा था। कीथ सोचने लगा कि आखिर उस शख्स के कहने का क्या मतलब है। तभी उसे एक ख्याल आया,
“ ओह, तो इसका मतलब तुमने ये वसीहत बनाई क्योंकि ....”
“ठीक समझे। मैंने सिल्वियस को जायदाद देने के लिए ये शर्त इसलिए रखी क्योंकि मैं जानता था कि इसके बिना उसे मेरी लिखी हुई कहानी को पूरा करने से कोई सरोकार नहीं होगा और मरते समय मुझे ये डर था कि अगर मेरी लिखी ये कहानी पूरी नहीं हुई तो मेरी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलेगी। क्योंकि जो आत्माएँ जिस्म छोड़ते समय संतुष्ट नहीं होतीं वो तब तक भटकती हैं जब तक कि उनकी अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो जाती। इसलिए जब तक वो कहानी पूरी नहीं हो जाती तब तक मुझे मुक्ति नहीं मिलेगी। मेरा बेटा मेरा ये काम कभी पसंद नहीं करता था। उसने कभी मेरी लिखी कोई कहानी नहीं पढ़ी। इसलिए उसने तुम्हें ये कहानी पूरी करने यहाँ भेज दिया। मैं जानता था कि वो ऐसा ही कुछ करेगा।” – गुस्से से थ्रैचर निकोलस ने कहा।
“आप फ़िक्र मत कीजिए,” – कीथ ने कहा, “मैं ये कहानी ज़रूर पूरी करूँगा। पर जब आप यहाँ हैं तो आपने खुद वो कहानी पूरी क्यों नहीं कर ली?”
“जिस दिमाग से मैं सोच कर कहानी लिखता था वो तो मेरे जिस्म के साथ दफना दिया गया। आत्मा तो साक्षी होती है। वो सोच-विचार का काम नहीं करती। पर तुम मेरे लिए इतना कुछ कर रहे हो, इसलिए मैं तुम्हारी मदद ज़रूर करूँगा।”
“वैसे मैं आपके लिए कुछ नहीं कर रहा था। असल में आपके बेटे और मरे बीच एक सौदा हुआ है जिसके अनुसार वो मुझे इस कहानी को पूरा करने की एवज़ में आधी जायदाद देगा।”
“नहीं, उसे कुछ नहीं मिलेगा। ये पूरी जायदाद तुम्हारी है। क्योंकि यही मेरी वसीहत कहती है। तुम अपनी बात से मुकर जाओ।”
“पर मैंने उसे ज़ुबान दी है। मैं झूठा नहीं हूँ। ये कॉन्ट्रेक्ट फिडूशरी है – आपसी भरोसे का। क़ानून की नज़र में इसकी कोई कीमत नहीं।”
“ठीक है। ये सब हम बाद में देखेंगे। पहले तुम रहस्य तो सुलझा लो। इसमें मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”
“पर कैसे?”
“वो भी पता चल जाएगा। फिलहाल तुम जाकर सो जाओ।”
इसी के साथ वो शख्स गायब हो गया। अगले ही पल फिर से अँधेरा हो गया। बाहर का मौसम अब भी खराब था। हल्की-हल्की बारिश भी होने लगी थी। कीथ अभी भी स्टडी रूम में बिलकुल शांत होकर खड़ा था। उसे अभी भी लग रहा था कि ये सब किसी अजीब से सपने का हिस्सा था। फिर जैसे ही उसे कुछ होश आया वो जाकर सो गया, बिना इस बारे में कुछ और सोचे।
कुछ समय बाद काले आसमान को चीर कर रौशनी धीरे से फूट पड़ी। उषा ने अपना दामन फैलाया और उदय होते सूरज कि लालिमा छिटक कर चारों ओर फ़ैल गयी। धीरे-धीरे ये सोंधापन तपने लगा। सूरज आकाश में चढ़ रहा था।
सुबह के नौ बजे कीथ की आँख खुली। वो अभी भी काफी थका हुआ था। रात को देर से जो सोया था। गहरी अंगड़ाई लेते हुए वो उठ बैठा। मुँह-हाथ धोकर ज़रा तरोताज़ा होने के बाद वो नाश्ता बनाने रसोई में गया। वो अभी नाश्ता बना ही रहा था कि तभी उसे एक ज़ोर की आहट सुनाई दी। इस बार भी वो आहट स्टडी रूम से आई थी। कीथ तेज़ी से भागकर स्टडी रूम में पहुँचा। वहाँ पहुँच कर कीथ ने देखा कि दो आदमी लड़ रहे हैं। कीथ हैरान था ये सोचकर कि वो दो आदमी अंदर घुसे कैसे। उनका ध्यान कीथ की तरफ गया ही नहीं। वो दोनों तो लड़ने में व्यस्त थे।
“अगर ऐसी ही बात है तो फिर तुम भी सुन लो। सिंथिया मेरी है और मेरी ही रहेगी।” – उनमें से एक ने कहा।
“सिंथिया?” – कीथ ने मन ही मन सोचा, “ये नाम तो मैंने कहीं....”
“तुम जानते हो कि अब वो मेरी पत्नी बन चुकी है। और मेरी पत्नी से यदि तुमने कोई संबंध रखना चाहा तो याद रखना, तुम्हारी सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा।” – दूसरा चिल्लाया।
“ओह नहीं,” – कीथ की समझ में सारी बात आ गयी, “ये थ्रैचर निकोलस की उसी कहानी के पात्र हैं। थ्रैचर निकोलस के भूत ने इन्हें जिंदा कर दिया है। वो इस तरह मेरी मदद करना चाहता है, जैसा कि उसने कहा था।”
“देखो, अगर तुम सीधी तरह से नहीं माने तो मेरे पास और भी रास्ते हैं।” – पहले वाले ने कहा।
“मैं भी चुप नहीं बैठूँगा। अगर मेरी पत्नी की तरफ आँख उठा कर भी देखा तो तुम्हारी खैर नहीं।” – दूसरे ने कहा।
दोनों का झगड़ा बढ़ता ही जा रहा था कि तभी कीथ उन्हें रोकने के इरादे से बीच में आ गया। उसने उनमें से एक के कंधे पर हाथ रखना चाहा पर उसका हाथ उस शख्स के आर-पार हो गया। मानो वो शख्स वहाँ हो ही नहीं। कीथ ने डर के मारे अपना हाथ वापस खींच लिया। अब उन दोनों में से एक का ध्यान कीथ की तरफ गया।
“ए, कौन हो तुम?” – उसने कीथ से पूछा।
“मैं एक जासूस हूँ।” – कीथ ने थोड़ा डरते हुए कहा।
“तुम हमारे मामले में दखल मत दो।” – दूसरे ने कहा, “ये हमारा आपसी मामला है।”
“पर मैं जानता हूँ कि वो आपसी मामला क्या है।” – कीथ ने कहा।
“पर तुम कैसे जानते हो? कहीं इसे तुमने तो नहीं बताया?” – उनमें से एक ने दूसरे से पूछा। इससे पहले दूसरा कुछ कहता कीथ ने कहा,
“नहीं विलियम, मुझे सिरेनो ने कुछ नहीं बताया। विश्वास करो मेरा।” – कीथ के ये कहने के साथ ही दोनों हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे। कुछ देर खामोश रहने के बाद उनमें से एक ने पूछा,
“तुम्हें हमारे नाम कैसे पता हैं?”
“जैसा कि मैंने बताया कि मैं एक जासूस हूँ। मुझे पता है कि तुम दोनों सिंथिया को लेकर आपस में लड़ रहे हो। वो तुम में से एक की पत्नी है और दूसरे की प्रेमिका। क्या मैं सही हूँ?” – कीथ ने दोनों को देखते हुए पूछा। कीथ एक अच्छा जासूस था। उन दोनों के लड़ते समय उनकी बातें सुनकर वो जान गया थे कि कौन सिरेनो है और कौन विलियम।
“नहीं, तुम नहीं हो। सिंथिया मेरी पत्नी है और वो मेरी ही रहेगी। उसे इसकी प्रेमिका मत कहो तुम। इससे मेरा दिल जलता है।” – सिरेनो ने कहा।
“तो तुम्हारा सड़ा हुआ दिल जलने से बदबू भी फैलेगी। बेहतर होगा कि उसे शांत रखो।” – विलियम ने कहा।
“एक मिनट,” – कुछ सूँघते हुए कीथ ने कहा, “बदबू तो आ रही है कुछ जलने की।”
“देखा, मैंने कहा था न कि इसका सड़ा हुआ दिल जलेगा तो बदबू ही आएगी।” – विलियम ने कहा।
“तुम चुप रहो।” – सिरेनो ने चीख कर कहा। फिर उसने कीथ को घूर कर देखा,
“तो अब तुम भी इसके साथ मिलकर मेरा मज़ाक उड़ाने लगे !”
“नहीं, ऐसा नहीं है। यकीन करो। मुझे वाकई कुछ जलने कि बदबू .....” – अचानक कीथ को कुछ याद आया, “ओह नहीं, मेरा नाश्ता, वो जल रहा है।”
कीथ भागकर रसोई में गया। नाश्ता जल चुका था। और वैसे अब कीथ को भूख भी नहीं रह गई थी। गैस बंद करके कीथ वापस स्टडी रूम में आया तो देखा कि वहाँ कोई भी नहीं था। कीथ इधर-उधर देखने लगा –
“अभी-अभी तो यहीं थे। खैर।”
कीथ नहाने के बाद फिर से वो कहानी पढ़ने लग गया,
“इसमें लिखा है कि विलियम और सिरेनो में खूब लड़ाई हुई जब सिरेनो को ये पता चला कि उसकी पत्नी का विलियम के साथ प्रेम-संबंध है। दोनों ने एक-दूसरे को जान से मारने की धमकी भी दी। बाद में सिरेनो ने जाकर सिंथिया के परिवार वालों से इस बारे में बात की। पर सिंथिया के माता-पिता ने सच नहीं बताया, ‘हमें तो इस बारे में कुछ भी नहीं पता। अक्सर सिंथिया देर रात घर से बाहर तो रहती थी, पर उसकी सहेलियों या दोस्तों के यहाँ फोन करने पर वो वहीँ मिल जाया करती थी। ऐसा कुछ होगा, इसपर तो कभी हमारा ध्यान ही नहीं गया।” सिरेनो ने इस बारे में सिंथिया से भी बात की, ‘नहीं, ये सब झूठ है। मैं किसी विलियम को नहीं जानती। ज़रूर वो मुझे फँसाना चाहता है।’ ‘पर मैंने एक रोज़ उसे तुम्हारे साथ देखा था। वो तुम्हारे पीछे-पीछे आ रहा था। बाद में जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि तुम और वो...’ ‘वो मेरा पीछा किसी खास वजह से कर रहा होगा, शायद मुझे ब्लैकमेल करने के लिए। उसने मेरे बारे में मालोमात कहाँ से हासिल की, मैं नहीं जानती।’ ‘ठीक है,’ सिरेनो ने कुछ शांत होकर कहा, ‘मैं इस बारे में तहकीकात करता हूँ।’ बाद में सिंथिया ने कैथी के ज़रिये विलियम को ये संदेश भिजवा दिया कि सिरेनो चौकन्ना हो गया है। इसलिए फिलहाल उन्हें नहीं मिलना चाहिए। विलियम ने ये बात तो मान ली पर साथ ही कैथी से सिंथिया को ये भी कहलवा भेजा कि जल्दी ही वो दोनों हमेशा के लिए एक हो जायेंगे। सिंथिया को इससे सांत्वना तो मिली पर वो ये न समझ पाई कि विलियम आखिर करना क्या चाहता था। सिरेनो ने जाकर पुलिस में पूछताछ की तो उसे पता चला कि विलियम का नाम छोटे-मोटे कई दंगों के लिए वहाँ दर्ज था। इससे सिरेनो को पूरा यकीन हो गया कि सिंथिया सच कह रही है। ‘इंस्पेक्टर, वो फसादी मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है। मैं चाहता हूँ कि आप कुछ करें इस बारे में।’ ‘ठीक है। आप निश्चिंत होकर जाइए। मैं उसे चेतावनी दे दूँगा। साथ ही हमारे दो आदमी उसपर चोरी-छुपे नज़र भी रखेंगे। यदि वो कोई गलत हरकत करता है तो फँस जायेगा। और फिर ...”
पढ़ते-पढ़ते कीथ सो गया। फिर थोड़ी देर में उठकर उसने खाना बनाया। खाना खाने के बाद वो थोड़ी देर बँगले में टहलने लगा। बाहर सूरज निकला हुआ था। आसमान साफ़ था। हल्की-हल्की हवाएँ चल रही थीं। मौसम काफी खुशनुमा था। कीथ घूमता हुआ स्टडी रूम में पहुँच गया। वहाँ पर उसे कुछ कागज़ पड़े दिखाई दिए। उसने उन्हें उठाया और पढ़ने लगा -
“लिखा है, ‘चौदह फरवरी, कितना खुशनसीब दिन है आज।’ ‘क्यों?’ ‘आज तुम्हारा जन्मदिन जो है। कितने साल कि हो गई हो तुम?’ ‘लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछा करते। अच्छा, ये तो बताओ कि मेरे लिए क्या तोहफा लाए हो?’ ‘वैसे तो अपना दिल तुम्हें दे चुका हूँ। पर फिलहाल तो ...’ कहते हुए उसने एक लॉकेट निकाला अपनी जेब से। ‘बहुत सुन्दर है। काफी कीमती भी होगा।’ ‘तुमसे ज़्यादा तो नहीं।’ और इसी के साथ उन्होंने एक-दूसरे को अपनी बाहों में भर लिया।” – कीथ सोचने लगा, “ये तो दो लोगों के बीच चलती बातचीत का हिस्सा है। ज़ाहिर है कि इनमें से एक लड़का है और एक लड़की। लड़की का जन्मदिन चौदह फरवरी को था। क्या ये बातचीत उसी अधूरी कहानी का हिस्सा है जो मैं पढ़ रहा हूँ? तो फिर ये मरे पास मौजूद इन पन्नों में क्यों नहीं था? ये मालूम करना पड़ेगा।”
थोड़ी देर बाद कीथ वापस अपने कमरे में आया तो वहाँ एक और तमाशा चल रहा था। एक पुलिस इंस्पेक्टर और एक शख्स के बीच बहस चल रही थी। कीथ उस शख्स को देखते ही पहचान गया। वो विलियम था। कीथ समझ गया कि ये दृश्य भी थ्रैचर निकोलस के भूत का दिया हुआ एक सुराग था। वो उन दोनों की बातें सुनने लगा।
“आप मेरी बेईज्ज़ती कर रहे हैं।” – विलियम ने कहा।
“ तुम चाहे जो समझो, पर अगर दोबारा तुम सिंथिया से मिले तो हमें कोई सख्त कदम उठाना पड़ेगा। इसे धमकी नहीं चेतावनी समझो।”
इसी के साथ वो इंस्पेक्टर गायब हो गया। विलियम का गुस्सा सातवें आसमान को छू रहा था।
“मैं इस बेईज्ज़ती का बदला सिरेनो से ज़रूर लूँगा।” –
वो गुस्से से चीखा। इसी के साथ वो भी गायब हो गया। कीथ सोचने लगा,
“विलियम इस समय वो बहुत गुस्से में है। मुझे विलियम के इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे। कहीं ये सिंथिया को पाने के लिए सिरेनो को कोई नुक्सान तो नहीं पहुंचायेगा? कहानी में देखना पड़ेगा।” – पर फिलहाल कीथ को कुछ और बात परेशान कर रही थी। उसने शहर में सिल्वियस को फोन किया।
“तो कैसी चल रही है छानबीन?” – सिल्वियस ने पूछा।
“चल रही है। आप फ़िक्र न करें। मैं इस कहानी का राज़ फाश करके ही वापस लौटूँगा। फिलहाल तो मुझे यहाँ कुछ चीज़ों की ज़रूरत थी।”
“फरमाइए। मैं अपने ड्राईवर के हाथ भेज दूँगा।”
और शाम होने से पहले सिल्वियस का ड्राईवर कीथ कि बताई सारी चीज़ें ले आया। पर चीज़ें तो बहाना थीं। कीथ को तो सिल्वियस के ड्राईवर से काम था।
“साहब, असल में बड़े मालिक की कहानियों में उनके बेटे को कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनके मरने के बाद बेटे ने नौकरों को भेज कर वो अधूरी कहानी बँगले से मँगवा ली। उन्होंने खुद तो कभी उस कहानी को पढ़ा तक नहीं। उन्हें क्या पता होगा कि कहानी के पन्ने पूरे हैं या नहीं। जल्दबाज़ी में नौकरों ने आधे अधूरे पन्ने उठा लिए होंगे। छोटे मालिक को तो इस कहानी में नहीं बल्कि इसके साथ जुड़ी वसीहत में दिलचस्पी है।”
“ओह, तो ये बात है। ठीक है। तुम रात होने से पहले तुम यहाँ से निकल जाओ। तुम्हारा रास्ता लम्बा है।”
“ठीक है साहब।” – और ड्राईवर चला गया। कीथ सोचने लगा,
“इसका मतलब कि ये ज़रूरी नहीं है कि जो कहानी मेरे पास है उसके सारे पन्ने उतने ही हैं। मुमकिन है कि ये पन्ना भी उसी कहानी का हो। और हो सकता है कि इस बँगले में और भी पन्ने हों इस कहानी के। मुझे उन्हें भी ढूँढना पड़ेगा। पर पहले उस कहानी के पन्नों को तो पढ़ लूँ जो मेरे पास मौजूद हैं। अब अगर वो पन्ना भी इसी कहानी से है तो इसका मतलब कि या तो वो बातचीत सिंथिया और सिरेनो में हो रही थी या फिर सिंथिया और विलियम में। दोनों ही बातों में ये बात तो पक्की है कि सिंथिया का जन्मदिन चौदह फरवरी को आता है और ये कि उसके गले में एक लॉकेट है।”
रात हो चली थी। कीथ सब कामों से निपट कर बाकी कि कहानी को पढ़ने में लग गया –
“रात हो चली थी। विलियम काफी पी चुका था। वैसे भी वो अकसर नशे में धुत रहता था। पर उस रात की बात अलग थी। वो अपना गुस्सा काबू में नहीं कर पा रहा था। अपने गुस्से को दबाने के लिए वो काफी शराब पी चुका था। पर जितना ज़्यादा पीता उतना ही वो आग भड़कती। पुलिस इंस्पेक्टर जब से उसे धमकी दे कर गया था वो सिरेनो पर बेहद गुस्सा था। पर सिंथिया के कारण खामोश था। सिंथिया ने कैथी के ज़रिये उसे खबर भिजवाई थी कि वो गुस्से में आकर कोई गलत हरकत न करे। इसी वजह से विलियम अब तक चुप था। पर उसकी शराब उसे कुछ करने को उकसा रही थी और इसी भड़कावे को शांत करने के लिए वो और शराब पीए जा रहा था। आखिरकार सब्र का बाँध टूट गया। ‘बहुत हो गया। मैं उसकी जान ले लूँगा।’ गुस्से में पागल विलियम सिरेनो के घर की तरफ चल दिया। काले आसमान में चाँद भी लापता था। स्याह पड़ा आसमान ऐसा लग रहा था मानो किसी की मौत का शोक मना रहा हो। विलियम अब सिरेनो के घर के नज़दीक ही था। और दूसरी तरफ ....”
कीथ ने अभी यहीं तक पढ़ा था कि तभी बँगले के एक कमरे से कुछ आवाजें आने लगीं। कीथ अब तक समझ गया था कि ये क्या था,
“एक और सुराग।”
वो उठा और उस कमरे में पहुँचा जहाँ से आवाजें आ रही थीं। वहाँ पहुँच कर उसने देखा कि सिरेनो एक खूबसूरत स्त्री के साथ खड़ा था जिसके हाथ में थी एक ट्रे जिसमें चाय से भरे तीन कप थे। उसके सामने कुर्सी पर एक शख्स बैठा हुआ था।
“सिंथिया डीयर,” – सिरेनो ने अपने साथ उस स्त्री से कहा, “वाल्ड्रो को चाय दो।”
सिंथिया ने धीरे से ट्रे वाल्ड्रो नामक उस शख्स की ओर बढ़ा दी। उसने एक कप उठा लिया। कीथ ये सब देख रहा था –
“तो ये सिंथिया है। पर ये वाल्ड्रो क्या चीज़ है?”
“वाल्ड्रो, मेरे ख्याल से हमें मॉर्फिन की कम्पनी से कोई भी सौदा नहीं करना चाहिए। उन लोगों के खिलाफ पहले भी एक मुकद्दमा अदालत में चला था जिस सिलसिले में कम्पनी के मालिक मिस्टर मॉर्फिन स्वयं जेल जा चुके हैं।” – सिरेनो ने कहा।
“पर सिरेनो,” – वाल्ड्रो ने समझाने कि कोशिश की, “तुम जानते हो कि उस मुकद्दमे में जीत मिस्टर मॉर्फिन की ही हुई थी। उन्हें बा-इज्ज़त रिहा कर दिया गया था।”
“ये बात तुम मुझे पहले भी बता चुके हो। पर मुकद्दमा जीत लेने का बेगुनाह होने से कोई ताल्लुक नहीं है। हो सकता है कि जीतने के लिए मॉर्फिन ने किसी को खरीदा हो, शायद जज को। मैं ये नहीं कहता कि मेरा ये अंदाज़ा सही है। पर जब तक पूरी तहकीकात न हो जाए हम मॉर्फिन पर विश्वास नहीं कर सकते।”
“पर मैं जानता हूँ कि मॉर्फिन भरोसे के लायक....”
“ बस करो वाल्ड्रो,” – सिरेनो अब तक हलके से आवेश में आ गया,
“मैं मानता हूँ कि तुम व्यापार में मेरे बराबर के हिस्सेदार हो। पर ये मत भूलो कि पावर ऑफ एटोर्नी मेरे नाम पर है। इसीलिए मेरा फैसला ही आखिरी फैसला होगा। समझे !”
वाल्ड्रो अब तक समझ चुका था कि बहस करना बेकार है,
“ठीक है, मैं तो सिर्फ राय दे रहा था। नहीं चलती तो कोई बात नहीं। ऐसा करना ज़रूरी तो नहीं।”
“यही ठीक रहेगा।” – सिरेनो ने शांत होते हुए कहा।
“इतना तो साफ़ है कि वाल्ड्रो और सिरेनो में थोड़ा तनाव चल रहा है।” – कीथ ने मन-ही-मन सोचा।
“अच्छा, तो मुझे चलना चाहिए,” – वाल्ड्रो ने कहा, “रात काफी हो चुकी है।”
और वाल्ड्रो गायब हो गया।
“तुम्हें अपने दोस्त पर गुस्सा नहीं होना चाहिए था डीयर।” – सिंथिया ने सिरेनो को समझाते हुए कहा।
“वो भी तो ज़िद पर अड़ा था। खैर छोड़ो, शायद तुम ठीक कहती हों। मैं कुछ ज़्यादा ही बोल गया।”
“चलो डीयर, जाने दो। रात काफी हो चुकी है। चलो, चलकर सो जाएँ।” – सिंथिया ने कहा।
“तुम जाओ प्रिय, मैं थोड़ी देर यहीं अपनी आरामकुर्सी पर बैठूँगा। शुभ रात्रि।”
“शुभ रात्रि।” – और सिंथिया सोने चली गयी। सिरेनो कुर्सी पर बैठा कुछ सोच रहा था। अचानक वो भी गायब हो गया।
“कहानी का ये भाग तो काफी खास था।” – कीथ ने सोचा,
“अब तो सोने से पहले ये पढ़ना ही पड़ेगा कि विलियम ने सिरेनो के घर पहुँच कर क्या हरकत की।”
कीथ फ़ौरन अपने कमरे में वापस आया और कहानी को आगे पढ़ना शुरू किया,
“लिखा है, रात के दो बज गए थे। सिरेनो को पता भी न चला कि आरामकुर्सी पर बैठे-बैठे वो कब गहरी नींद में सो गया। विलियम काफी नशे में था। वो सिरेनो के घर के बाहर पहुँच चुका था। तभी अचानक उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी। वो फ़ौरन भागकर मकान के पीछे चला गया। आने वाले शख्स ने दरवाज़ा खटखटाया। थोड़ी देर के बाद दरवाज़ा खुला। दरवाज़ा सिरेनो ने खोला था। फिर वो शख्स अंदर चला गया। विलियम अभी भी मकान के पीछे था। वो सही मौके की तलाश में था। तभी उसे किसी के मकान से बाहर निकलने की आवाज़ सुनाई दी। थोड़ी देर के लिए एक गहरी खामोशी छा गई। विलियम धीरे से आगे के हिस्से में आया। दरवाज़ा खुला था। विलियम इसी मौके की तलाश में था। नशे में लड़खड़ाता हुआ वो मकान के अंदर घुसा। अंदर घुसते ही उसे सामने कुर्सी पर सिरेनो बैठा दिखाई दिया। उसके चेहरे पर शांत भाव थे। पर उसे देखते ही विलियम गुस्से से आगबबूला हो गया। नशे में लड़खड़ाता हुआ वो आगे बढ़ा – ‘बोल क्या बिगाड़ा है मैंने तेरा। सिंथिया तेरी पत्नी महज़ छः महीनों से है पर वो पिछले दो सालों से मेरी प्रेमिका रही है। उसकी शादी तुझसे इसलिए नहीं हुई क्योंकि वो ऐसा चाहती थी। मजबूर थी वो, इसलिए बेचारी ने माँ-बाप की ख्वाइशों के सामने अपने प्यार को कुर्बान कर दिया। यदि ये सच नहीं है तो बुला सिंथिया को नीचे और पूछ उससे कि सच क्या है।’
अब तक सिंथिया शोर सुनकर नीचे आ गई थी, ‘विलियम,’ – वो चीखी, ‘रुक जाओ, ईश्वर के लिए रुक जाओ।’
‘अरे क्यों रुक जाऊँ मैं?’, विलियम ने कहा। वो अपने दिल की भड़ास निकाल देना चाहता था, ‘कितने समय से चुप हूँ। जो हो रहा है उसे देख रहा हूँ। और क्यों रुकूँ मैं? मेरी गलती क्या है? क्या यही कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ? पर ये गलती तो तुमने भी की है न? जवाब दो सिंथिया।’
‘मत पूछो मुझसे ये सवाल विलियम, जिसका जवाब मैं खुद भी नहीं जानती।’ – सिंथिया ने कहा। फिर उसने सिरेनो की तरफ देखकर कहा, ‘सिरेनो, हो सके तो मुझे माफ कर देना। मैं तुम्हारी गुनेहगार हूँ। मैंने तुमसे झूठ बोला। सच तो ये है कि मैं भी विलियम से प्यार करती हूँ। इसके लिए तुम जो चाहो वो सज़ा मुझे दे सकते हो।’
‘ये क्या बोलेगा !’ – विलियम ने कहा, ‘पहले तो इसने मेरी बेईज्ज़ती की और अब चुप रहकर इल्जामों से बचने की कोशिश कर रहा है।’
विलियम ने आगे बढ़कर जैसे ही सिरेनो को छुआ, वो अपनी आरामकुर्सी पर एक तरफ लुढ़क गया। उसकी पीठ खून से लाल थी और एक खंजर उसकी पीठ में घुपा हुआ था।” – इतना पढ़ने के बाद कीथ सो गया। आधी रात का समय था। तेज़ हवाएँ चल रही थीं। उल्लुओं के रोने की की आवाजें बढ़ती जा रही थीं। सुनसान बँगले के चारों ओर एक अजीब-सा माहौल बन रहा था। अचानक बँगले के बाहर हवा में एक तेज़ रौशनी प्रकट हुई। वो रौशनी इतनी तेज़ थी कि उसकी चकाचौंध से चाँद की नीली रौशनी भी शर्मा कर इधर-उधर बिखरने लगी। अचानक वो रौशनी गायब हो गयी और हवा में प्रकट हुई थ्रैचर निकोलस की आत्मा,
“बहुत खूब ! आखिर मेरी कहानी में कोई दिलचस्पी ले रहा है। और कहानी में भी क्या कमाल के मोड़ हैं। यक़ीनन, यक़ीनन मैं दुनियाँ का सबसे अच्छा कहानीकार हूँ।”
कीथ सुबह देर से उठा। नाश्ता कर लेने के बाद वो स्टडी रूम में गया।
“उस कहानी के बाकी पन्ने अगर यहाँ कहीं हैं तो वो मुझे ढूँढने ही पड़ेंगे। जो पन्ने मेरे पास हैं उनसे तो कहानी बहुत ही साधारण तरीके से आगे बढ़ रही है। ऐसे तो कुछ भी पता नहीं चलेगा।” – कीथ ने एक अलमारी खोली और उसमें से कागज़ निकाल कर देखने लगा। वो अपने मतलब के कागज़ तलाश कर रहा था, जो कि कहानी से मेल खाते हुए हों,
“वैसे एक बात तो पक्की है कि खूनी विलियम नहीं है। इस सूरत में आने वाले उस शख्स पर ही शक जाता है। पर वो शख्स आखिर कौन हो सकता है? मेरे ख्याल से वाल्ड्रो। विलियम के अलावा वाल्ड्रो ही ऐसा शख्स है जो सिरेनो से नाराज़ था। उसके किरदार को इस कहानी में रखने का कोई और मकसद भी नहीं है। पर बिना सबूत के कुछ नहीं कहा जा सकता। और फिर....अरे, ये क्या है?”, कीथ ने नीचे पड़े एक कागज़ को उठा कर पढ़ा –
“अच्छा, तो ये बात है। खैर, इसे बाद में देखूँगा।”
तभी अचानक एक आवाज़ सुनाई दी। आजाज़ कीथ के कमरे से आई थी। कीथ भागकर अपने कमरे में पहुँचा। वहाँ मौजूद थी सिंथिया, उसके साथ विलियम और एक इंस्पेक्टर।
“इंस्पेक्टर टाइलर,” – सिंथिया ने कहा, “गिरफ्तार कर लीजिए इस आदमी को। इसी ने मेरे पति की हत्या की है।”
“ये क्या कह रही है?” – अपने ही प्रेमी पे इलज़ाम लगा रही है?” – कीथ हैरान था।
“ये तुम क्या कह रही हो सिंथिया?” – विलियम ने कहा, “तुम तो जानती हो कि ये झूठ है। अगर मैंने सिरेनो को मारा होता तो मैं यहाँ मौजूद क्यों रहता? यहाँ से भाग न गया होता? मुझे तो ये उसी समय पता चला कि सिरेनो मर चुका है जिस समय तुम्हें ये पता चला। तुम्हारे सामने तो मैं उससे बात कर रहा था।”
“वो सब तुम्हारी चाल थी।” – रोते हुए सिंथिया न कहा, “जब तुम बँगले में आए तो मैं सो रही थी। तब तुमने सिरेनो को मार दिया और जब मैं नीचे आई तो ऐसे बन गए जैसे कि कुछ जानते ही न हो।”
“नहीं सिंथिया, मेरा विश्वास करो। मेरे आने से पहले भी कोई आया था। ज़रूर ये उसी ने किया है। मैं बेगुनाह हूँ।” – विलियम ने लाख समझाया पर सिंथिया ने एक न सुनी ,
“इंस्पेक्टर टाइलर, ले जाओ इसे। मुझे ये उम्मीद न थी कि प्यार में पागल होकर ये ऐसी गिरी हुई हरकत करेगा।”
“पर सिंथिया, मैं तो ....”
“नहीं मिस्टर विलियम, आप यहाँ आधी रात को आए और आप नशे में धुत थे। ये दोनों ही बातें आपके खिलाफ हैं। हमें आपको पहले भी चेतावनी दी थी। अब चलिए।” – और विलियम को गिरफ्तार कर लिया गया। इसी के साथ विलियम, इंस्पेक्टर टाइलर और सिंथिया गायब हो गए। कीथ का दिमाग चलना शुरू हुआ,
“सिंथिया विलियम पर शक कर रही है क्योंकि जब सिरेनो का खून हुआ तब सिंथिया सो रही थी। जब वो नीचे आई तो विलियम वहाँ था। इसके अलावा विलियम पर इंस्पेक्टर टाइलर की निगरानी पहले से थी। क्योंकि सिरेनो ने पहले ही विलियम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा रखी थी। इन सब बातों से तो यही ज़ाहिर होता है कि खूनी विलियम ही है। पर मैं तो ये जानता हूँ कि विलियम से पहले भी कोई सिरेनो से मिलने आया था। और ये भी ज़ाहिर है कि जो शख्स आया था उसे सिरेनो पहले से जानता था। इसलिए उसे अंदर आने को कहा। मतलब कातिल या तो विलियम है या फिर वो शख्स। पर वो आखिर था कौन?” –
कीथ की समझ में कुछ नहीं आ रहा था। उसने वापस जा कर कहानी पढ़नी शुरू की,
“यहाँ लिखा है, इंस्पेक्टर टाइलर को शक था कि शायद ये हत्या विलियम ने न की हो। क्योंकि इस हत्या का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था और विलियम के आने से पहले सिंथिया घर में मौजूद थी। इसके अलावा विलियम भी किसी के आने का दावा कर रहा था जो कि उसके मुताबिक़ उससे पहले सिरेनो से मिला था।इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इंस्पेक्टर टाइलर ने अपने एक आदमी को बँगले के चारों ओर तहकीकात करने के लिए भेजा। उसे शक था कि यदि कोई शख्स सिरेनो से मिलने आया था और उसी ने उसका खून भी किया है तो शायद उसने कोई ऐसा सुराग छोड़ा हो जिससे उसकी शिनाख्त हो सके। जब उसका आदमी वापस लौटा , ‘तो क्या खबार है रॉजर? कोई सुराग हाथ लगा?’ ‘सर, मुझे बँगले कि पिछली तरफ से ये लॉकेट मिला है।’ इंस्पेक्टर टाइलर ने उस लॉकेट को अपने हाथ में लेकर देखा, ‘ये लॉकेट किसका हो सकता है? इससे तो ये बात साफ़ है कि वहाँ कोई लड़की मौजूद थी। और शायद उसी ने सिरेनो को मारा है। पर वो कौन लड़की है जो सिरेनो की मौत से कोई फायदा उठा सकती है? अरे हाँ, सिंथिया भी हो सकती है क्योंकि सिरेनो की मौत के बाद सारी जायदाद सिंथिया की हो जाती है। पर पहले इस लॉकेट का पता करना पड़ेगा। रॉजर, तुम शहर के तमाम ज्वेलर्स की दुकानों पर जाकर इस लॉकेट का पता करो। ये देखने में काफी कीमती लगता है। इसके बारे में आसानी से पता चल जायेगा। और मैं जाकर सिंथिया से सिरेनो के दोस्त वाल्ड्रो के बारे में पता करता हूँ।’ और दोनों अपने-अपने काम पर निकल पड़े।” – कीथ ने अभी यहीं तक पढ़ा था कि तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई,
“इस समय कौन आ गया? और वो भी ऐसी सुनसान जगह पर।’
कीथ ने दरवाज़ा खोला। दरवाज़े पर सिल्वियस निकोलस का ड्राईवर था –
“तुम? कैसे आना हुआ?”
“साहब, मालिक ने पूछने को भेजा है कि कितना समय और लगेगा। अदालत में पेशी का दिन नज़दीक आने वाला है।”
“कुछ समय और लगेगा। पर तुम्हें क्यों भेजा? वो फोन भी तो कर सकते थे।”
“उन्होंने फोन किया था पर लगता है कि आपका फोन खराब है।”
“फोन खराब?” – कीथ ने सोचा, “आखिरी बार सिल्वियस से बात करने के बाद से तो मैंने फोन को हाथ भी नहीं लगाया। फिर अपने आप कैसे....? शायद मौसम की खराबी या फिर.....”
“ साहब, आप क्या सोच रहे हैं?”
“अ....कुछ नहीं। अच्छा सुनो, अपने मालिक से कहना कि मैं उनसे मिलना चाहता हूँ। इसलिए जितनी जल्दी हो सके यहाँ आ जाएँ। ये बेहद ज़रूरी है।”
“पर साहब, इतना ज़रूरी क्या काम आ पड़ा?”
“तुम बस उनसे ये कह देना।’
“ठीक है साहब।” – और ड्राईवर चला गया। कीथ थोड़ा परेशान था, “फोन खराब कैसे हुआ? देखना पड़ेगा।” – कीथ उस कमरे में गया जहां फोन रखा हुआ था। कीथ ने फोन का तार देखा और वहाँ पर पहुँचा जहाँ से वो तार लगा हुआ था। कीथ ने देखा कि तार का सिरा पिन पॉइंट से बाहर निकला हुआ था,
“ये किसने किया? मेरे अलावा तो यहाँ कोई भी .....एक मिनट, लगता है कि मुझे इस बँगले में फँसाया जा रहा है। बाहर से मेरे संपर्क कोई काट रहा है। लेकिन कौन?”
शाम ढल रही थी। सूरज की लालिमा काले पड़ते आसमान में घुल कर उसी का हिस्सा बनती जा रही थी। रोज की तरह सुनसान बँगले के बाहर लगे उजाड़ दरख्तों पर बैठ कर उल्लुओं ने अपना राग अलापना शुरू कर दिया था। सोने से पहले कीथ कहानी का बाकी हिस्सा पढ़ने लगा,
“इंस्पेक्टर टाइलर सिंथिया के घर पर बैठा उससे बात कर रहा था, ‘उनका दोस्त है वो, साथ ही बिजनेस में हिस्सेदार भी। कुछ दिनों से दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन थी। वैसे वाल्ड्रो का अक्सर घर पे आना जाना था।’ – सिंथिया ने बताया। ‘अच्छा, क्या आपको सिरेनो ने कभी कोई लॉकेट भेंट किया था?’ ‘जी, उन्होंने मुझे मेरे जन्मदिन पर एक लॉकेट तोहफे में दिया था पर एक रोज मुझसे वो खो गया।’ ‘ओह, खैर कोई बात नहीं। ईश्वर ने चाहा तो वो कभी न कभी आपको ज़रूर मिल जाएगा।’ – इंस्पेक्टर टाइलर को सिंथिया पर शक तो हुआ पर वो उस समय कुछ बोला नहीं। और फिर....” –
यहाँ तक पढ़ते ही एक कमरे से कुछ आवाज़ें आने लगीं। कीथ वहाँ पहुँचा तो उसने देखा कि इंस्पेक्टर टाइलर एक शख्स से बात कर रहा है। कहानी के आधार पर कीथ को ये समझते देर न लगी कि वो शख्स था.....
“रॉजर, तो क्या पता चला?”
“सर, ये लॉकेट वाकई बेहद कीमती है। ये अपने किस्म का सिर्फ एक ही है। इसे स्पेशल ऑर्डर देकर ‘गोल्डन हार्ट’ नामक एक ज़ेवरों की दुकान से खरीदा गया है।” – रॉजर ने कहा।
“फिर तो ये भी पता चल गया होगा कि इसे किसने खरीदा था।”
“असल में उसके पास वो रिकॉर्ड नहीं था पर दुकान के मालिक को ये याद था कि एक आदमी ने चार फरवरी को ऑर्डर दिया था और दुकानदार को हिदायत थी कि चौदह फरवरी से पहले ये तैयार हो जाना चाहिए।”
“चौदह फरवरी !” – कीथ का शक और मज़बूत होता जा रहा था, “चौदह फरवरी को तो सिंथिया का जन्मदिन था। इसका मतलब कि ये लॉकेट सिंथिया को सिरेनो ने दिया था। और इसका मतलब कि सिंथिया ने ही सिरेनो को ....| पर अगर ऐसा है तो उसने विलियम पे इल्ज़ाम क्यों लगाया? वो तो उसका प्रेमी था। वो वाल्ड्रो को फँसा सकती थी। कुछ गड़बड़ लगती है।”
तभी बँगले के बाहर किसी ने दरवाज़ा खटखटाया। ये आवाज़ होते ही इंस्पेक्टर टाइलर और रॉजर परछाई की तरह गायब हो गए। कीथ ने दरवाज़ा खोला। और दरवाज़ा खोलते ही वो हैरान रह गया।
“सिल्वियस, तुम? तुम यहाँ कैसे?”
“मैं तो ये पूछने आया था कि तुम्हें और कितना समय लगेगा। एक महीना जल्दी ही खतम होने को है।”
“पर अभी शाम को ही तो तुम्हारा ड्राईवर पूछ कर गया है। उसने बताया नहीं?”
“ड्राईवर? क्या बात कर रहे हो? मेरे ड्राईवर की तो दो हफ्ते पहले एक कार दुर्घटना में मौत हो गई।”
“क्या?” – कीथ हैरान था।
“मैंने तुम्हें फोन भी किया था पर तुम्हारा फोन तो लगता है कि खराब है।”
“तुम ये क्या....” – कहते कहते अचानक कीथ चौंक गया। उसे कुछ याद आ गया था, “ओह, नहीं ! इसका मतलब....”
“क्या मतलब?” – सिल्वियस कुछ परेशान था, “आखिर यहाँ क्या चल रहा है?”
“बताता हूँ। पर फिलहाल रात बहुत हो चुकी है। तुम जल्दी से अंदर आ जाओ।” – कीथ सिल्वियस को बँगले के अंदर ले गया। रात गहरी होती जा रही थी। एक अजीब सा सन्नाटा उस बियाबान इलाके में खड़े बँगले को अपनी लपेट में ले रहा था। बँगले के अंदर कीथ और सिल्वियस बहुत गंभीरता से बात कर रहे थे।
“तुम्हारे पिता के तुम्हारे साथ सम्बन्ध कैसे थे?” – सिल्वियस ऐसे किसी सवाल के लिए तैयार नहीं था,
“ये कैसा सवाल है? तुम्हें हो क्या गया है?”
“देखो सिल्वियस, तुम्हारी जान खतरे में है। और इसलिए ये ज़रूरी है कि जो मैं पूछ रहा हूँ तुम उसका ठीक-ठीक जवाब दो।”
“ठीक है, मैं सच बताता हूँ। असल में मैं उनका बेटा नहीं हूँ। उनकी शादी हेलेना नाम की एक औरत से हुई थी जिससे उनका एक बेटा भी था। पर शादी के बीस साल बाद हेलेना और उसका बेटा एक दुर्घटना में मारे गए। इस हादसे के चार साल बाद उन्होंने सारा नाम की एक औरत से शादी की। वो एक विधवा थी। मैं उनका बेटा हूँ। जब उन दोनों की शादी हुई तो मैं सिर्फ छः साल का था। मुझे लगा कि मुझे अब पिता का प्यार मिल जाएगा पर थ्रैचर निकोलस सारा से सिर्फ अपने खानदान के लिए एक वारिस चाहते थे। पर मेरी माँ ने उनसे शादी के समय ये बात छुपाई कि वो कभी माँ नहीं बन सकती थीं। मैं उनका पहला और आखिरी बेटा था। थ्रैचर निकोलस ने इसके लिए मेरी माँ को और मुझे कभी माफ नहीं किया। उन्होंने कभी मेरी माँ से अच्छा बर्ताव नहीं किया। हमेशा उन्हें डांटते-मारते रहते थे। मुझे भी उन्होंने कभी बेटा नहीं माना। वो मुझे जायदाद नहीं देना चाहते थे सो उन्होंने ये वाहियात सी शर्त रखी। मेरी माँ ने भी उनसे तंग आकार एक रोज आत्महत्या कर ली। तब से ही मैं और वो अलग अलग रहा करते थे. कानूनी तौर पे मेरी पढ़ाई और दूसरे खर्च उठाने को वो बाध्य थे। पर मैं उनके लिए सिर्फ ज़िम्मेदारी था। लेकिन इससे मेरी जान खतरे में होने का क्या ताल्लुक है?”
“शायद तुम्हें यकीन न हो। पर तुम्हें ये जान लेना बेहद ज़रूरी है। इसलिए ध्यान से सुनो....” – कीथ ने उसे अब तक बँगले में हुई हर घटना का ब्यौरा सुना दिया। सिल्वियस हैरान भी था और डरा हुआ भी,
“क्या ये सब सच है?”
“बिलकुल। एक रोज जब मैं स्टडी रूम में राखी अलमारियाँ खोल कर देख रहा था तो मुझे एक कागज़ मिला। वो असल में एक इकरारनामा था जो थ्रैचर निकोलस ने लिखा था। नीचे उनके हस्ताक्षर भी थे।” – कीथ ने वो कागज़ लाकर सिल्वियस को दिखाया। सिल्वियस ने उससे पढ़ा,
“इसमें लिखा है : मैं, थ्रैचर निकोलस। मेरे पड़दादा फैन्टन निकोलस एक लुहार थे। उन्होंने जीवन भर कड़ी मेहनत की और धीरे-धीरे काफी अच्छा कारोबार जमा लिया। उसे आगे बढ़ाया मेरे दादा हैरिस निकोलस ने। उन्होंने इसे एक ऊँचाई तक पहुँचाया और इसके बाद मेरे पिता पीटर निकोलस ने इसे एक साम्राज्य का रूप दिया। ये करोड़ों डॉलर्स कि जायदाद जब मेरे हाथ में आई तो मैंने इसे अपने मुताबिक़ आगे बढाने की सोची। मेरी रूचि उस कारोबार में नहीं अपितु कहानियाँ निखने में थी। मैं जानता था कि मेरा बेटा आगे चलकर ये सारी जायदाद संभालेगा। पर होनी को कुछ और ही मंज़ूर था। मेरी पत्नी और बेटा, दोनों एक दुर्घटना में मारे गए। कुछ समय बाद सारा नाम की एक औरत मेरी जिंदगी में आई। वो एक विधवा थी और मैं एक विधुर। मुझे उससे प्यार होने लगा और मैंने सोचा कि उससे शादी करके मुझे मेरे खानदान को आगे बढ़ाने वाला एक वारिस मिलेगा। पर वो औरत धोखेबाज़ निकली। न सिर्फ उसका एक बेटा है बल्कि अब वो कभी माँ नहीं बन सकती। उसने ये बात मुझसे छुपाई। मेरी सारी आशाओं पे पानी फिर गया। उसके प्रति मेरा प्रेम खत्म हो गया। फिर एक दिन उसने आत्महत्या कर ली। समाज में निकोलस परिवार के मान सम्मान को ध्यान रखते हुए मैंने उसके बच्चे को पाला। मैं वापस अपने पुश्तैनी बँगले में आ गया। मैंने वो घर छोड़ दिया है जहाँ मेरी दूसरी पत्नी का बेटा रहता है। मैं सिर्फ क़ानून और समाज के हाथ मजबूर हूँ। इसलिए उसके बालिग़ होने तक मैं उसके खर्च उठाऊंगा और उसके बाद मेरा कोई सम्बन्ध नहीं रहेगा। मैं अपनी जायदाद उसे किसी कीमत पर नहीं दूँगा। ज़्यादा जोर-ज़बरदस्ती की तो मैं उसकी जान ले लूँगा लेकिन उसे कुछ नहीं दूँगा।”
“समझे?” – कीथ ने कहा, “इसलिए उन्होंने ऐसी वसीहत बनाई जिसे तुम पाकर भी न पा सके। पर तुमने उस कहानी को सुलझाने के लिए मुझे भेज दिया। जब ये बात थ्रैचर निकोलस की रूह को पता चली तो उसे गुस्सा आ गया। और अब जबकि तुम यहाँ हो तो वो भूत कुछ भी कर सकता है।”
“तो क्या हम कुछ नहीं कर सकते?” – थोड़ा डरते हुए सिल्वियस ने पूछा।
“थ्रैचर निकोलस को मुक्ति तभी मिल सकती है जब हम उस कहानी को सुलझा लें। यही एक रास्ता है।”
तभी चारों ओर अँधेरा हो गया। कीथ और सिल्वियस थोड़ा घबरा गए।
“ये अचानक बिजली कैसे चली गयी?” – सिल्वियस ने पूछा।
“या तो पॉवर कट है या फिर मुसीबत।” – कीथ ने कुछ सोचते हुए कहा।
“मुसीबत?”
“हाँ , थ्रैचर निकोलस की आत्मा इसी बँगले में है। ज़रूर उसे पता चल गया होगा कि तुम यहाँ हो। मुमकिन है कि अब वो तुम्हें मारने की कोशिश करे।”
“ग्रेट ! वैसे तुम मुझे समझा रहे हो या डरा रहे हो?” – सिल्वियस ने पूछा।
“ये तो निर्भर करता है इसपर कि तुम डर रहे हो या समझ रहे हो। वैसे भी अब डरने का समय नहीं है।”
“ठीक कहा तुमने।” – तभी हवा में एक आवाज़ गूँजी, “ये डरने का समय नहीं है, तुम्हारे मरने का समय है।”
कीथ और सिल्वियस सावधान हो गए।
“वो आ गया है।” – कीथ चीखा।
“तो अब हम क्या करें?” – सिल्वियस ने पूछा।
“अब तुम कुछ नहीं करोगे बेटे,” – आवाज़ फिर आई, “अब जो करना है मैं ही करूँगा।”
इसी के साथ बाहर बढ़ती हवाएँ थम गईं। एक पल को सब कुछ रुक गया। चाँद को बादलों ने ढक लिया था। चारों तरफ एक गहरी खामोशी छा गई। पर ये खामोशी किसी तूफ़ान के आने का इशारा कर रही थी। कीथ और सिल्वियस स्तब्ध होकर खड़े थे। अचानक कमरे में तेज़ रौशनी का एक वर्तुल प्रकट हुआ। वह रौशनी हज़ारों सूरज की रौशनी के बराबर थी। पर उसमें एक ठंडक थी। तेज़ रौशनी से कीथ और सिल्वियस की आँखें चकाचौंध हो गईं। थोड़ी देर में रौशनी का वो घेरा गायब हो गया और सामने हवा में नज़र आया थ्रैचर निकोलस का भूत।
“हे मेरे ईश्वर ! क्या ये सच है?” – सिल्वियस बेहद डर गया था।
“तुम बहुत जी लिए इस दुनियाँ में सिल्वियस, अब मेरे पास आ जाओ बेटे।” – थ्रैचर निकोलस चीखा।
“सिल्वियस, भागो।” – कीथ ने कहा और इसी के साथ वो दोनों कमरे से बाहर भागे। थ्रैचर निकोलस के चेहरे पर भयानक भाव थे।
“तुम भाग सकते हो पर बच नहीं सकते।”
कीथ और सिल्वियस भागते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरे और हॉल में आ पहुँचे।
“इससे कुछ नहीं होगा सिल्वियस।” – कीथ ने कहा, “हम कहाँ तब भागेंगे? वो एक आत्मा है। और सबसे बड़ी बात तो ये है कि ये थ्रैचर निकोलस का बँगला है। यहाँ उसीकी सरपरस्ती है।”
“यहाँ से भाग चलें क्या?” – सिल्वियस ने सुझाव दिया।
“ये नहीं हो सकता। वो इतना बेवकूफ नहीं है। वो हमें इस बँगले से नहीं निकलने देगा। अब तो बस हमें वो कहानी सुलझानी पड़ेगी। और उसके लिए जो सुराग चाहिए वो हमें स्टडी रूम में मिलेंगे। और स्टडी रूम में पहुँचने के लिए हमें दिल निकलने का इंतज़ार करना होगा।”
तभी अचानक सिल्वियस के सिर के ठीक ऊपर हॉल में टंगा हुआ भारी-भरकम झूमर टूट कर गिर पड़ा। कीथ ने सही समय पर ये देख लिया और उसने सिल्वियस को एक तरफ धक्का दे दिया। झूमर ज़ोर की आवाज़ के साथ ज़मीन पर आ गिरा। चारों तरफ काँच बिखर गया।
“दिन निकलने का इंतज़ार तो करना होगा पर मुश्किल ये है कि ये रात कैसे निकलेगी।” – सिल्वियस ने कहा।
“यही मुश्किल है और इससे भाग कर कुछ नहीं हो सकता। हमें लड़ना होगा।” – कीथ ने कहा।
“बहुत अच्छा, तो जब तुम लड़ लो तो परिणाम बता देना मुझे।” – सिल्वियस ने कहा, “तुम एक आत्मा से कैसे लड़ सकते हो?”
“आसान है, उसे भूत बँगला दिखा दिखा कर।” – कीथ ने झेंप कर कहा।
“ऐसे घटिया जोक से वो ज़रूर भाग जायेगा। अब तो भगवान ही कुछ कर सकते हैं।”
“देखो सिल्वियस मुझे नाराज़ मत करो। वैसे ही मुझे तुमपर ...........एक आइडिया आया।” – अचानक कीथ को कुछ सूझा।
“क्या? तुम्हें मुझपर आइडिया आया? इसका क्या मतलब है?”
“चलो मेरे साथ। अब हमें भगवान ही बचाएगा। उसी के पास चलते हैं।” – कीथ ने कहा।
“चलो आखिर तुम.....” – अचानक सिल्वियस को ये अहसास हुआ कि कीथ ने क्या कहा, “क्या? कहाँ चले हम? अ ....ऐसा करते हैं कि तुम पहले चले जाओ। अगर सब ठीक रहा तो मुझे फोन कर देना और फिर मैं .....”
“अब चलो भी !” – कीथ ने सिल्वियस का हाथ पकड़ा और तेज़ी से एक कमरे की ओर भागा। पर इससे पहले कि वो कमरे तक पहुँच पाते सामने एक शख्स आ गया जिसे देखते ही कीथ पहचान गया –
“विलियम?”
“तुम्हारी मौत।” – विलियम ने सिल्वियस पर गोली चलाई। पर सही समय पर कीथ ने एक बार फिर फुर्ती दिखाते हुए सिल्वियस को वहाँ से हटाकर बचा लिया। विलियम गायब हो गया।
“य ...ये भी ....?” – सिल्वियस काफी डर गया था।
“हाँ, ये भी। अब चलो।”
वो दोनों भागते हुए उस कमरे में पहुँचे जहाँ कीथ पहुँचना चाहता था। कीथ ने वहाँ पर रखे एक संदूक को खोला और उसमें कुछ ढूँढने लगा।
“मुझे पता नहीं था कि भगवान संदूक में रहते हैं।” – सिल्वियस ने कहा।
“अभी पता चल जायेगा।” – कहते हुए कीथ ने उस संदूक में से एक मोटी सी किताब निकाली, “देखो सिल्वियस, ये होली बाइबल है। जब तक ये हमारे पास रहेगी थ्रैचर निकोलस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। अब सुबह तक हमें इसी के सहारे रहना है।”
“क्या तुम सच कह रहे हो?”
“झूठ बोलूँ तो कौवा काटे।” – कीथ और सिल्वियस कमरे से बाहर आ गए। सामने खड़ा था थ्रैचर निकोलस का भूत। उन्हें देखते ही वो चीखा,
“आ गया मेरा शिकार। अब मज़ा आएगा खेल में।”
“हम नहीं डरते थ्रैचर निकोलस।” – कीथ ने कहा।
“हाँ,” – सिल्वियस ने कहा, “ये नहीं डरता।”
“तो फिर मरो,” – थ्रैचर निकोलस ने कहा। इसी के साथ उसने हाथ ऊपर उठाये और उसके हाथों से एक विद्yuत किरण निकली। ठीक समय पर कीथ ने बाइबल को आगे कर दिया। परिणामस्वरूप वो किरण सिल्वियस तक नहीं पहुँच पाई। थ्रैचर निकोलस क्रुद्ध हो गया। वो ज़ोर से चीखा,
“तो इस किताब को लेकर तुम मुझसे लड़ने आए हो। पर ये ज़्यादा समय तक तुम्हारी हिफाज़त नहीं कर पाएगी सिल्वियस।” – इतना कहकर वो गायब हो गया। अब तक कीथ के तेज दिमाग में एक और तरकीब सूझ रही थी।
“सिल्वियस, कुछ समझ में आया?”
“हाँ, ये किताब ज़्यादा समय तक मेरी हिफाज़त नहीं कर पाएगी।”
“नहीं, ये नहीं बेवकूफ। थ्रैचर निकोलस तुम्हारी जान का दुश्मन है – सिर्फ तुम्हारी जान का।”
“वाह ! क्या बात बताई है। मुझे तो पता ही नहीं था।” – ताना मारने के अंदाज़ में सिल्वियस ने कहा।
“मेरा मतलब उसे मेरी जान लेने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसलिए अगर उस कहानी को कोई सुलझा सकता है तो वो हूँ सिर्फ मैं।”
“नहीं कीथ, मुझे यहाँ अकेला छोड़ कर मत जाओ। दोनों साथ में चलते हैं।”
“पागल मत बनो सिल्वियस। तुम यहाँ पर रहोगे तो थ्रैचर निकोलस तुम्हें मारने कि कोशिश में लगा रहेगा। ऐसे में स्टडी रूम में मेरा काम आसान हो जाएगा।”
“और अगर उसने मुझे मार डाला तो?”
“वो नहीं मार सकता जब तक कि तुम्हारे हाथ में ये पवित्र बाइबल है। तुम ये जानते हो।”
“फिर भी कीथ मुझे खतरों के बीच अकेला छोड़ कर मत जाओ। दोनों साथ में चलते हैं। साथ जियेंगे, साथ मरेंगे।”
“देखो मैं तुम्हें इससे समझाता हूँ सिल्वियस। अगर मैं तुम्हें यहाँ छोड़कर लिविंग रूम में गया तो मुमकिन है कि तुम मारे जाओगे। और अगर मैं यहाँ रुका तो पक्का मारे जाओगे। अब बोलो, क्या फैसला है?”
“कोई विकल्प नहीं है?”
“एक है। या तो अभी मारो या थोड़ी देर बाद।”
“तो यहाँ क्यों खड़े हो? भागो !”
“सही जवाब। तुम फ़िक्र मत करो सिल्वियस, सब कुछ ठीक होगा।” – कहते हुए कीथ स्टडी रूम की तरफ भागा।
“रुको ज़रा,” – सिल्वियस ने कहा, “जाने से पहले मुझे कोई काम की सलाह तो देते जाओ।”
“ज़रूर। मेरे वापस आने तक मरना मत।” – और कीथ तेज़ी से स्टडी रूम की तरफ भागा। तभी उसके सामने प्रकट हुआ थ्रैचर निकोलस,
“मेरा शिकार कहाँ है?” – वो ज़ोर से चीखा।
“अंदर।” – भागते भागते कीथ ने कहा।
“शुक्रिया।” – इसी के साथ थ्रैचर निकोलस की आत्मा गायब हो गई। स्टडी रूम पहुँच कर कीथ ने अलमारियों को खोल कर कहानी से जुड़े सुरागों की तलाश करनी शुरू कर दी। वो एक-एक करके हर कागज़ को पढ़ रहा था,
“मेरे पास एक पिल्ला है,....नहीं, ये वाला नहीं। मैंने एक बिल्ली पाली है,.....नहीं ये वाला भी नहीं है। मेरी मम्मी ने तुम्हें चाय पे बुलाया है,.....नहीं, ये भी नहीं।”
दूसरी तरफ सिल्वियस हाथ में बाइबल पकड़े खड़ा था। वो काफी डर रहा था। तभी उसके सामने प्रकट हुआ थ्रैचर निकोलस।
“चले जाओ। चले जाओ यहाँ से। हुश, हुश !” – हाथ में पकड़ी हुई बाइबल को आगे करते हुए सिल्वियस ऐसे बोला मानो उसके सामने एक आत्मा नहीं बल्कि कोई गाय या बकरी खड़ी हो।
“गुस्ताख ! तेरी ये मजाल कि तू महान थ्रैचर निकोलस से मज़ाक करे? अभी मज़ा चखाता हूँ।” – इतना कहकर थ्रैचर निकोलस ने अपने हाथ ऊपर उठाए। उसके हाथ से एक विद्युत किरण निकली और सामने खड़े सिल्वियस की तरफ बढ़ी। सिल्वियस ने डर के मारे आँखें बंद कर लीं। वो किरण सिल्वियस तक पहुँची पर उसके हाथ में बाइबल होने के कारण उसे कोई नुक्सान नहीं पहुँचा पाई। धीरे से सिल्वियस ने आँखें खोलीं और जा देखा कि वो सही-सलामत है तो ज़रा अकड़ कर बोला,
“अब बोलो, कैसी रही ! मैं जानता हूँ कि तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। अब भाग जाओ इससे पहले कि मैं तुम्हें भस्म कर दूँ।”
“मुझे भस्म करेगा?” – थ्रैचर निकोलस की आत्मा का क्रोध सातवें आसमान पर था, “तुझे सबक सिखाना पड़ेगा।”
अचानक थ्रैचर निकोलस गायब हो गया। दूसरी ओर कीथ स्टडी रूम में हर अलमारी को टटोल रहा था। उसे हर हाल में वो कागज़ चाहिए था जिससे कि कहानी का रहस्य सुलझ सके। यहाँ हार मानने का कोई सवाल नहीं था। क्योंकि जीतने का ईनाम था ज़िंदगी। दूसरी तरफ सिल्वियस के सामने प्रकट हुआ एक शख्स जो पुलिस कि वर्दी पहने हुए था। उसके हाथ में था एक रिवाल्वर।
“कौन हो तुम?” – सिल्वियस ने पूछा, “क्या किसी पलिस वाले का भूत?”
“मैं हूँ इंस्पेक्टर टाइलर।” – सामने खड़े उस शख्स ने कहा, “और अगर तुमने सीधी तरह से वो बाइबल मुझे नहीं दी तो मैं तुम्हें गोली मार दूँगा।”
“समझा, तुम भी थ्रैचर निकोलस की कोई चाल हो। मैं बेवकूफ नहीं हूँ। मैं ये बाइबल नहीं दूँगा।”
“उफ़, क्या मुसीबात है !” – इसी के साथ इंस्पेक्टर टाइलर गायब हो गया।
दूसरी तरफ कीथ छानबीन में व्यस्त था। वो अब स्टडी रूम में रखी आखिरी अलमारी कि तलाशी ले रहा था,
“हे ईश्वर, ये आखिरी उम्मीद है। मुझे कामयाब कर दे वर्ना सिल्वियस मर जाएगा और थ्रैचर निकोलस की आत्मा यूँ ही भटकती रहेगी।”
सिल्वियस अभी भी बाइबल पकड़े उसी कमरे में खड़ा था। तभी उसके सामने एक बेहद खूबसूरत युवती प्रकट हुई। वह इतनी सुन्दर थी कि एक पल को सिल्वियस सब कुछ भूल गया,
“कौन हो तुम और अब तक कहाँ छुपी थीं?”
“मेरा नाम है सिंथिया और मैं तुम्हारी हूँ – आज की रात।”
“व...वो तो बीतने वाली है।”
“सही कहा, तो समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। तुम वो किताब जो तुम अपने हाथ में पकड़े हो, मुझे दे दो और फिर हम कमरे में चलते हैं। क्या ख्याल है?”
“अच्छा ख्याल है।” – सिल्वियस ने कहा और बाइबल सिंथिया को पकड़ाने लगा। जैसे ही सिंथिया ने उसे हाथ लगाया वो ज़ोर से चीखी और गायब हो गई और बाइबल सिल्वियस के हाथ में रह गई। वो सोचने लगा –
“वो गायब कैसे हो गई? ज़रूर वो थ्रैचर निकोलस की चाल थी। बाल-बाल बचा मैं।”
तभी सामने के दरवाज़े से कीथ अंदर दाखिल हुआ। उसे देख सिल्वियस की मानो जान में जान आई।
“तो क्या हुआ?” – सिल्वियस ने पूछा।
“हम जीत गए आखिरकार। अब थ्रैचर निकोलस और उत्पात नहीं मचाएगा।”
“वाह ! क्या बात कही है। जी चाहता है कि तुम्हें चूम लूँ पर तुम लड़की नहीं हो।” – खुशी से सिल्वियस बोला।
“अच्छा अब चलो।”
“हाँ, मेरा भी इस भूतिया बँगले में रहने का कोई इरादा नहीं।” – कहते हुए सिल्वियस आगे बढ़ा।
“इस बाइबल को क्या अपने साथ लेकर जाओगे?”
“अरे, मैं तो भूल ही गया था। लो इसे वहीँ रख दो जहाँ से निकाली थी।” – सिल्वियस ने कीथ की ओर बाइबल बढ़ाई।
“अरे, कोई बात नहीं।” – कीथ ने कहा, “इसे यहीं पर रख दो। वैसे भी अब इस बँगले में किसी को आना नहीं है।”
“शायद तुम ठीक कहते हो। मैं इसे यहीं रख देता हूँ।” – सिल्वियस ने उसे कमरे में रखी एक लकड़ी कि मेज़ पर रख दिया, “अब चलो यहाँ से। थोड़ी देर तक ही रात बाकी है।”
“हाँ, पर उतना समय काफी है, .....हमें शहर पहुँचने के लिए।”
कीथ और सिल्वियस उस कमरे से बाहर निकल कर हॉल में आ पहुँचे। चलते-चलते अचानक कीथ रुक गया।
“क्या हुआ?” – सिल्वियस ने पूछा, “तुम रुक क्यों गए?”
“कुछ रह गया।”
“क्या?”
“एक सवाल।”
“सवाल? कैसा सवाल?”
“सिल्वियस, तुमने कहा कि तुम इस बँगले में नहीं रहना चाहते। फिर आखिर तुम इस बँगले का करोगे क्या?”
“करना क्या है ! किसी को अच्छी कीमत पर बेच दूँगा।” – सिल्वियस ने कहा, “पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो?”
“खूब, तो मेरे पुश्तैनी बँगले को तुम अपने फायदे के लिए बेच देना चाहते हो।” – अचानक कीथ की आवाज़ बदल गई।
“तुम्हारा पुश्तैनी बँगला? इससे क्या मतलब है तुम्हारा?” – सिल्वियस ने हैरान होते हुए पूछा।
“मतलब ये कि तुम्हें बाइबल नहीं छोड़नी चाहिए थी सिल्वियस।”
- इतना कहते ही कीथ गायब हो गया। अब सिल्वियस को सारी बात समझ में आई। वो डर के मारे काँप गया। वो तेज़ी से वापस उस कमरे की तरफ भागा जहाँ वो बाइबल रख कर आया था। पर अब बहुत देर हो चुकी थी। जैसे ही सिल्वियस कमरे तक पहुँचा कमरे का दरवाज़ा खुद-ब-खुद बंद हो गया। सिल्वियस घबराकर जैसे ही पीछे पलटा, सामने खड़ा पाया थ्रैचर निकोलस को – उसके बेहद डरावने रूप में।
“सिल्वियस, तुम इतनी रात गए इस बँगले में ऐसे ही नहीं आये हो। तुम्हें यहाँ मेरी शक्ति ने बुलाया है। ये रात तुम्हारी ज़िंदगी की आखिरी रात है। तुम कल की सुबह नहीं देख पाओगे।” – ये कहने के साथ ही थ्रैचर निकोलस ने हाथ घुमाया और अगले ही पल सिल्वियस के हाथ पैर अपने आप बंध गए। अचानक थ्रैचर निकोलस के हाथ में एक तलवार प्रकट हुई। वो उसे लेकर सिल्वियस की तरफ बढ़ा। बँगले के बाहर तूफानी रात थी। तेज हवाएँ चल रही थीं। ज़ोरों की बिजली कड़क रही थी।
“अब तुम्हें मुझ से कोई नहीं बचा सकता सिल्वियस।” – थ्रैचर निकोलस ने तलवार उठाई, “अलविदा सिल्वियस, हमेशा के लिए।”
सिल्वियस ने डर के मारे आँखें बंद कर लीं। थ्रैचर निकोलस ने पूरी ताकत से वार किया। एक तेज़ आवाज़ के साथ हर तरफ खामोशी छा गई। हवाएँ थम गईं। सिल्वियस ने धीरे से आँखें खोलीं। थ्रैचर निकोलस कहीं नज़र नहीं आ रहा था। चारों तरफ सन्नाटा था। अचानक चारों तरफ रौशनी हो गई। हॉल के सामने वाले दरवाज़े से कीथ अंदर आया,
“सब ठीक है सिल्वियस,” – उसने कहा, “पॉवर बंद थी। मैंने उसे फिर से चालू कर दिया है। और अब सब कुछ ठीक है। थ्रैचर निकोलस अब और उत्पात नहीं मचाएगा।”
जैसे ही कीथ सिल्वियस के करीब आया सिल्वियस ने पास रखे एक फूलदान को उठा कर ज़ोर से कीथ के सिर पर दे मारा। कीथ झटके से पीछे को गिरा। उसके माथे से खून बह रहा था।
“आह, ये क्या पागलपन है? दिमाग फिर गया है क्या?” – कराहते हुए कीथ चीखा।
“तुम्हें तो खून निकल रहा है।” – कीथ को देखते हुए सिल्वियस ने कहा।
“और नहीं तो क्या स्ट्राबरी जूस निकलेगा?” – कीथ ने गुस्से से कहा।
“नहीं मेरा मतलब कि तुम असली हो। पहले मुझे विश्वास नहीं था।”
“तो पूछ लेते। सिर फोड़ना ज़रूरी था क्या?”
“इतना गुस्सा क्यों कर रहे हो? छोटी सी तो चोट है।”
“हाँ, क्यों नहीं। खुद को लगेगी तो पता चलेगा।”
“अच्छा ये छोड़ो। ये बताओ कि थ्रैचर निकोलस की आत्मा अचानक शांत कैसे हो गई?”
“उसकी अंतिम इच्छा पूरी हो गई।”
“क्या मतलब?”
“स्टडी रूम में आखिरी अलमारी को तलाश करते हुए मुझे उसमें से ये कागज़ मिला। असल में कहानी का ये हिस्सा मैंने पहले भी पढ़ा था। पर वो अधूरा था। इस कागज़ में वो हिस्सा पूरा लिखा हुआ है। देखो।” – कीथ ने वो कागज सिल्वियस को दिखाया। सिल्वियस ने उसे पढ़ा –
“इसमें लिखा है, ‘चौदह फरवरी, कितना खुशनसीब दिन है आज।’ ‘क्यों?’ ‘आज तुम्हारा जन्मदिन जो है। कितने साल कि हो गई हो तुम?’ ‘लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछा करते। अच्छा, ये तो बताओ कि मेरे लिए क्या तोहफा लाए हो?’ ‘वैसे तो अपना दिल तुम्हें दे चुका हूँ। पर फिलहाल तो ...’ कहते हुए उसने एक लॉकेट निकाला अपनी जेब से। ‘बहुत सुन्दर है। काफी कीमती भी होगा।’ ‘तुमसे ज़्यादा तो नहीं।’ और इसी के साथ उन्होंने एक-दूसरे को अपनी बाहों में भर लिया। ‘पर हमें और कितने दिन तक ऐसे ही मिलना पड़ेगा?’ ‘फ़िक्र न करो। मॉर्फिन से मेरी बात हो चुकी है। मुझे बस उसे ये डील करवा देनी है। बदले में वो मुझे कंपनी की एक ब्रांच का कार्यभार सौंप देगा। फिर मैं तुमसे शादी कर लूँगा।’ ‘पर क्या सिरेनो इस डील के लिए तैयार होगा?’ ‘पता नहीं, पर उसका तैयार होना बहुत ज़रूरी है। फैसला लेने का हक सिर्फ उसके पास है।’ ‘पर उसके मरने के बाद तो तुम्हारे पास होगा।’ ‘क्या मतलब?’ ‘मतलब कि तुम उसे राज़ी करो। अगर वो न माना तो तुम्हारे लिए ये कदम मैं उठा लूँगी।’ ‘पर तुम अपना ख्याल रखना प्रिय।’ ‘फ़िक्र मत करो। सही मौका देखकर ही कुछ करुँगी। वैसे भी मेरा उस घर में बेरोक आना जाना है। और फिर सिरेनो ने विलियम के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कर रखी है। सिरेनो की हत्या हुई तो सभी का शक विलियम पे जाएगा।’ ‘पर धयान से, मुझे तुम्हारी फ़िक्र है।’ ‘घबराओ मत। अब हमें एक होने से भगवान भी नहीं रोक सकता।’ और इसी के साथ उनके होंठ आपस में टकरा गए।”
“ये पढ़कर मैं जान गया कि कैथी वाल्ड्रो को पहले से जानती थी और वो लॉकेट भी सिंथिया का नहीं कैथी का था। कैथी ने ही सिरेनो कि हत्या की थी। मेरे इतना पता लगाते ही कहानी सुलझ गई और थ्रैचर निकोलस की आत्मा को मुक्ति मिल गई।”
“बढ़िया , तो अब वादे के मुताबिक तुम आधी जायदाद के मालिक हो।”
“मुझे वो जायदाद नहीं चाहिए। उसपर तुम्हारा हक है। पर तुम्हें एक सलाह दे रहा हूँ। तुमने आज तक थ्रैचर निकोलस के लिए कोई खास काम नहीं किया। अब उनकी आत्मा कि शान्ति के लिए एक आखिरी काम ज़रूर करना।”
“वो क्या है?”
“उनकी इस कहानी को छपवाना ज़रूर। ये वाकई में बहुत बढ़िया है। पढ़ कर शायद ये न भी कहता। पर मैंने इसका सीधा प्रसारण देखा है। लाइव शो।”
“ठीक है। मैं ये ज़रूर करूँगा। पर तुम जायदाद नहीं लोगे? तुम कहना चाहते हो कि अपने काम की कीमत छोड़ रहे हो?”
“मैंने ऐसा नहीं कहा। अपने काम की कीमत तो तुमसे लूँगा ही।”
“और वो क्या है?”
“इस कहानी को छपवाओगे तो कॉपीराईट मेरे नाम कर देना। मुझे आजीवन अपने काम की कीमत मिलती रहेगी।”
और इसके जवाब में सिल्वियस मुस्कुरा दिया।